अंग अंग चढ़ी नाम दी खुमारी,
गुरा ने ऐसा रंग सुटेया,
बाहरो अन्दरो मैं रंगी गई सारी,
गुरा ने ऐसा रंग सुटेया,
अंग अंग चढ़ी नाम दी खुमारी,
गुरु चरना च मथा जदों टेकेया,
दसा की ओह नजारा जो मैं वेखेयाँ,
वेखे अंग संग बांके बिहारी,
गुरा ने ऐसा रंग सुटेया,
अंग अंग चढ़ी नाम दी खुमारी,
एह न पूछो रंग पीला सी की लाल सी,
रंग जेह्डा वी सी बड़ा ही कमाल सी,
वेख सोचा विच धुबियाँ ललारी,
गुरा ने ऐसा रंग सुटेया,
अंग अंग चढ़ी नाम दी खुमारी,
खोली गुरा जद सच दी किताब सी,
मेनू दिता हर सवाल दा जवाब सी,
इक पल च मुकाई गल सारी,
गुरा ने ऐसा रंग सुटेया,
अंग अंग चढ़ी नाम दी खुमारी,
गुरा ज्ञान वाला तीर जदों मारिया,
नि मैं गले गले राम उचारेया ,
सारे कहंदे मेनू गुरा दी प्यारी,
गुरा ने ऐसा रंग सुटेया,
अंग अंग चढ़ी नाम दी खुमारी,
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