अरदास एहो लाई मैं लाई तेरे दरबार

अरदास एहो लाई मैं लाई तेरे दरबार,
कोई ना दुखी होवे तू सुण लै मेरे करतार..

सबना दे दिल विच ही होवे तेरा प्यार प्रभु,
अपणी कला उत्ते अहंकार ना हो सतगुरु,
बेड़ा पार करो तुस्सी ओ जग दे पालनहार,
कोई ना दुखी होवे तू सुण लै मेरे करतार…

कोई बेसहारा ना होवे तेरे इस जग विच,
रूखी सुखी सबना नू मिले तेरे इस जग विच,
तेरे खेड न्यारे ने ओ जग दे पालनहार,
कोई ना दुखी होवे तू सुण लै मेरे करतार…

सँगतां दी दर उत्ते एहो अरदास जी,
इस ज़िन्दगी दे विच कोईना हो उदास जी,
तेरे ही भरोसे ते असी आये तेरे दरबार,
कोई ना दुखी होवे तू सुण लै मेरे करतार…

Author: Unknown Claim credit

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