ओहने की लेना ओहनू की मिलना जिहदा इक था मन टिकियाँ न
ओहने था था जाके की सिख ना जेह्डा इक दा होके सिखिया न
प्रभु वाल्मीकि तेरी किरपा सदके असी भी कदे डोले न
असी उठ दे बेह्न्दे हर वेले तेरा ना ही बोले आ
तेरा नाम तेरा नाम तेरा नाम ही बोले आ

न लेके मिलदा है सकून मेरी जिन्द्जान नु
बड़ी सोबत दे नाल लिखदा अपनी पहचान नु
असी वाल्मीकि जी दे कुल चो आ न रखने ओले आ
असी उठ दे बेह्न्दे हर वेले तेरा ना ही बोले आ

ओहना की इतहास बनाओना इतहास जो भूल गए आ
अपनी होंद गवा के गैरा दे डुल गए आ
खरे काहनू बाने बदल लये तू बदले चोले आ
असी उठ दे बेह्न्दे हर वेले तेरा ना ही बोले आ

प्रभु वाल्मीकि तेरी किरपा दा सहनु सिदक बथेरा ऐ,
जिथे सब नु तोई मिल जांदी ओह तीर्थ तेरा ऐ
प्रिंस लिख व्यान कर रेहा ओहने पाए रोले अ
असी उठ दे बेह्न्दे हर वेले तेरा ना ही बोले आ

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