टेर- दरसेगा नूर दिवाने मिलेगा जरूर,

साहेव का भजन करले दरसेगा नूर

गुरु से अर्ज कर पाओगे मरज जब, बीती जाए जिंदगानी
चेतने की बारी बोलो हरि हरि बोलो हरि हरि
अरे देही का गुमान वन्दे तज देना दूर

प्राण को कमान कर खेच राखो सुन्न तांही, सुरता-निरता वुद्धि
तीनो रोके राखो मांही हरी हरी बोलो हरी हरी
अरे सूली के चढे से होवे चकनाचूर

छोड़े मत साधु संग बार-बार लागे रंग, जग से उचंग लांगे
कालवा से जीते जंग हरी-हरी वोलो हरी-हरी
अरे गुरू की कृपा से होवे खारी का कपूर

लखि सखी पिया खोज लेखा पाओ रोज-रोज, मावस पूनो
पड़वादोज तुरिया संग करले मौज हरी-हरी वोलो हरी-हरी
कहिये कबीर वरसे मौती अबीज हंसा चुगना जरूर

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