गुरु जी बिन न कुछ भाये

गुरु जी बिन न कुछ भाये

हम को जो भी मिला गुरु जी से मिला न है कोई गिला क्या कहे
दिल में रेहते है वो धडकनों में में भी वो रग रग में है वो क्या कहे
जुड़ा ऐसा है ये नाता गुरु जी बिन न कुछ भाये
यही हसरत है इस दिल की दया यु ही वो बरसाए
जुड़ा ऐसा है ये नाता गुरु जी बिन न कुछ भाये

हमे है नाज किस्मत पर के उन का सिर विसाया है
भटकते फिर दिखे हम को हमे जीना सखाया है
हमारा हाथ जो थामा मिली हर वो नई राहे
यही हसरत है इस दिल की दया यु ही वो बरसाए
जुड़ा ऐसा है ये नाता गुरु जी बिन न कुछ भाये

कभी ठुकरा दी थी दुनिया निगाहें फेर कर हम से
वही अब मिलने आती है के जब सब पाया है तुम से,
तुम्ही शोहरत तुम्ही दोलत,
तुम्ही ज्यादा क्या बतलाये ,
यही हसरत है इस दिल की दया यु ही वो बरसाए
जुड़ा ऐसा है ये नाता गुरु जी बिन न कुछ भाये

तुम्हारा शुकरीयाँ गुरु जी के दिल का यही है केहना,
नही कुछ और मांगे हम के बस तुम साथ में रहना
अगर तुम साथ है अपने दुखो से हम क्यों गबराए,
यही हसरत है इस दिल की दया यु ही वो बरसाए
जुड़ा ऐसा है ये नाता गुरु जी बिन न कुछ भाये

Author: Unknown Claim credit

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