तर्ज – फिरकी वाली तू कल चली

हो गुरुवर प्यारे, ये भक्त तुम्हारे,
आये है तेरे द्वारे, गुरु चरणों की छाँव में,
आज आये है ये मालपुरा गाँव मे,
हो खेवनहार, ओ गुरुजी हमारे,
हम तेरे ही सहारे, बैठे है तेरी नावँ में,
आज आये है ये मालपुरा गाँव मे…..

मालपुरा की गलियां ओ दादा स्वर्ग से सुंदर लगती है,
तेरे गाँव मे हवाए भी ओ गुरुवर बड़े अदब से चलती है,
बड़ा ही अदभुत, यहां का नजारा इन नैनो ने निहारा,
ये खूबसूरत, मेरे दादा की मूरत बसी है इन निगाहों में,
आज आये है ये मालपुरा गाँव मे,
हो गुरुवर प्यारे…

तेरे द्वार पर जो भी है आता उनकी बिगड़ी बनती है,
तेरी कृपा से ही मेरे दादा भक्तो को खुशियां मिलती है,
खुश हो जाये, जिसपे गुरुवर,
उनकी किस्मत सुपर,
दिलबर भजन बनाये अंजू गाये गुरु भक्ति के भाव में,
हम आये आज मालपुरा गाँव मे,
हो गुरुवर प्यारे…

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