शिक्षा उसको दीजिये जो जिज्ञासु होये
देत सिख अपात्र को मत महत्व खोय
करता कोई और है तो मूरख करे अभिमान
मैं मैं करना छोड़ दे अमृत उत्तम ज्ञान
सच बोलो हरी नाम लो तो तजो कपट व्यव्हार
सब प्रकार की हिंसा तजो, करो अतिथि सत्कार
करो मन गुरु चरना को ध्यान
करो मन गुरु चरना को ध्यान
देसी जी गुरु आतम ज्ञान
गुरुजी ब्रह्मा गुरु जी विष्णु
गुरु म्हारा शिव के समान
करो मन गुरु चरना को ध्यान
गुरुजी गूंगा गुरूजी बावला
गुरु म्हारा देव समान
करो मन गुरु चरना को ध्यान
गुरूजी गंगा गुरूजी यमुना
गुरु म्हारा तीर्थ समान
करो मन गुरु चरना को ध्यान
काहेको दिवलो काहेकी बाती
काहेको घीरत घलाय
करो मन गुरु चरना को ध्यान
मन स्याही बाती तनडा रो दिवलो
प्रेम को घीरत घलाय
करो मन गुरु चरना को ध्यान
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