कोई भाव से मेरे सतगुरु को सजा दे

कोई भाव से मेरे सतगुरु को सजा दे,
भाग्य जग जाएगा, भाग्य जग जाएगा।।

गुरुवर को गंगाजल से पहले नहला दो,
रोली चन्दन से तिलक लगा दो,
फिर भाव से पुष्पों का हार चढ़ा दो,
भाग्य जग जाएगा, भाग्य जग जाएगा।।
कोई भाव से मेरे सतगुरु को सजा दे,
भाग्य जग जाएगा, भाग्य जग जाएगा।।

सतगुरु को छप्पन भोग ना भाए,
भूखा है भाव का जो भी दिखाए,
फिर भाव से गुरुवर को भोग लगा दे,
भाग्य जग जाएगा भाग्य जग जाएगा।।
कोई भाव से मेरे सतगुरु को सजा दे,
भाग्य जग जाएगा, भाग्य जग जाएगा।।

गुरुवर के चरणों में स्वर्ग है लगता,
श्रष्टि झुके आसमान भी झुकता,
फिर भाव से तू अपना शीश झुका दे,
भाग्य जग जाएगा भाग्य जग जाएगा।।
कोई भाव से मेरे सतगुरु को सजा दे,
भाग्य जग जाएगा, भाग्य जग जाएगा………

Author: Unknown Claim credit

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