मेरे सतगुरु दीन दयाल, किया है सबको मालामाल,
जी इनकी शान निराली है, जी इनकी शान निराली है,
प्रभु की चाल निराली है……
जो आवे तेरे द्वारे, बहुत बहुत हर्षावे, जी बहुत बहुत हर्षावे,
खुशियों भरी सौगातें वह साथ अपने ले जावे,
दोनों जहाँ में करते हैं गुरवर, जीवों की संभाल,
जी इनकी शान निराली है, जी इनकी शान निराली है, प्रभु की चाल निराली है,
मेरे सतगुरु दीन दयाल, किया है सबको मालामाल,
जी इनकी शान निराली है, जी इनकी शान निराली है,
प्रभु की चाल निराली है……
सतगुरु जब दर्शन है देते, संगत सारी झूमे, जी सांगत सारी झूमे,
धरती गगन और चाँद सितारे, श्रीचरण गुरु को चूमें, जी श्रीचरण गुरु को चूमें,
जब जब देते है आशीर्वाद, तो गूंजे जय जय जयकार,
जी इनकी शान निराली है, जी इनकी शान निराली है, प्रभु की चाल निराली है,
मेरे सतगुरु दीन दयाल, किया है सबको मालामाल,
जी इनकी शान निराली है, जी इनकी शान निराली है,
प्रभु की चाल निराली है……
पांच नियम बनाकर, सतगुरु उपकार किया है, जी सतगुरु ने उपकार किया है,
जिसने भी इनको अपनाया, उनका उध्धार किआ है, जी उनका उध्धार किया है,
अपनी कृपा से सतगुरु ने किया सबको भव से पार,
जी इनकी शान निराली है, जी इनकी शान निराली है, प्रभु की चाल निराली है,
मेरे सतगुरु दीन दयाल, किया है सबको मालामाल,
जी इनकी शान निराली है, जी इनकी शान निराली है,
प्रभु की चाल निराली है……
Author: Unknown Claim credit