पलना स्याम झुलावत जननी ।
अति अनुराग पुरस्सर गावति, प्रफुलित मगन होति नंद घरनी ॥१॥
उमंगि उमंगि प्रभु भुजा पसारत, हरषि जसोमति अंकम भरनी ।
सूरदास प्रभु मुदित जसोदा, पूरन भई पुरातन करनी ॥२॥

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