बनके दुल्हनिया श्याम नाम की

श्याम नाम की मेहंदी रचाकर,
घूँघट में शर्माउंगी,
बनके दुल्हनिया श्याम पिया की,
ब्रज नगरी अब जाउंगी,
ब्रज नगरी अब जाउंगी……..

श्याम नाम की मांग भरी और,
श्याम चुनरिया ओढ़ी रे,
श्याम प्रीत रंग राची ऐसी,
दुनिया से मुख मोड़ी रे,
वो मेरा हो जायेगा और,
मैं उसकी हो जाउंगी,
बनके दुल्हनिया श्याम पिया की,
ब्रज नगरी अब जाउंगी,
ब्रज नगरी अब जाउंगी…….

गईया चराने वो जायेंगे,
मैं उनके संग जाउंगी,
श्याम बजायेंगे बंशी,
और मैं नाचूंगी गाउंगी,
थक जायेंगे श्याम पिया तो,
थक जायेंगे श्याम पिया तो,
उनके चरण दबाऊँगी,
बनके दुल्हनिया श्याम पिया की,
ब्रज नगरी अब जाउंगी,
ब्रज नगरी अब जाउंगी….

सूरज रंग चढ़ा मेहंदी का,
मैं तो ऐसी लाल भई,
श्याम पिया की बनके सुहागन,
सातो जनम निहाल हुई,
सदा सुहागन कहलाउंगी,
सदा सुहागन कहलाउंगी,
जीवन सफल बनाउंगी,
बनके दुल्हनिया श्याम पिया की,
ब्रज नगरी अब जाउंगी,
ब्रज नगरी अब जाउंगी……….

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

अपरा एकादशी

शुक्रवार, 23 मई 2025

अपरा एकादशी
शनि जयंती

मंगलवार, 27 मई 2025

शनि जयंती
निर्जला एकादशी

शुक्रवार, 06 जून 2025

निर्जला एकादशी
ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी

संग्रह