झुलत राधा संग। गिरिधर झूलत राधा संग॥ध्रु०॥
अबिर गुलालकी धूम मचाई। भर पिचकारी रंग॥ गिरि०॥१॥
लाल भई बिंद्रावन जमुना। केशर चूवत रंग॥ गिरि०॥२॥
नाचत ताल आधार सुरभर। धिमी धिमी बाजे मृदंग॥ गिरि०॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलकू दंग॥ गिरि०॥४॥
Author: Unknown Claim credit