ऐसे भक्ति मोहे भावे
ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी ऐसी भक्ति ।सरवस त्याग मगन होय नाचे जनम करम गुन गावे ॥ उ०॥ध्रु०॥कथनी कथे निरंतर मेरी चरन कमल चित लावे ॥मुख मुरली नयन जलधारा करसे ताल बजावे ॥उ०॥१॥जहां जहां चरन...
ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी ऐसी भक्ति ।सरवस त्याग मगन होय नाचे जनम करम गुन गावे ॥ उ०॥ध्रु०॥कथनी कथे निरंतर मेरी चरन कमल चित लावे ॥मुख मुरली नयन जलधारा करसे ताल बजावे ॥उ०॥१॥जहां जहां चरन...
दरसन बिना तरसत मोरी अखियां ॥ध्रु०॥तुमी पिया मोही छांड सीधारे फरकन लागी छतिया ॥द०॥१॥बस्ति छाड उज्जड किनी व्याकुल भई सब सखियां ॥द०॥२॥सूरदास कहे प्रभु तुमारे मिलनकूं ज्युजलंती मुख बतिया ॥द०॥३॥
सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी सांवरे मोकुं रंगमें बोरी बोरी ॥ध्रु०॥बहीयां पकर कर शीरकी गागरिया । छिन गागर ढोरी ।रंगमें रस बस मोकूं किनी । डारी गुलालनकी झोरी । गावत लागे मुखसे होरी ॥सा०॥१॥आयो अचानक...
जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो ॥ज०॥ध्रु०॥बन्सीके नाद थंभ्यो जमुनाको नीर खग मृग।धेनु मोहि कोकिला अनें किर ॥बं०॥१॥सुरनर मुनि मोह्या रागसो गंभीर ।धुन सुन मोहि गोपि भूली आंग चीर ॥बं०॥२॥मारुत तो अचल भयो धरी रह्यो धीर...
नेननमें लागि रहै गोपाळ नेननमें ॥ध्रु०॥मैं जमुना जल भरन जात रही भर लाई जंजाल ॥ने०॥१॥रुनक झुनक पग नेपुर बाजे चाल चलत गजराज ॥ने०॥२॥जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे संग लखो लिये ग्वाल ॥ने०॥३॥बिन देखे मोही कल...
मधुरीसी बेन बजायके । मेरो मन मोह्यो सांवरा ॥ध्रु०॥मेरे आंगनमें बांसको बेडलो सिंचो मन चित्त लायके ।अब तो बेरण भई बासरी मोहन मुखपर आयके ॥सां०॥१॥मैं जल जमुना भरन जातरी मारग रोक्यो आयके ।बनसीमें कछु आचरण...
हमसे छल कीनो काना नेनवा लगायके ॥ध्रु०॥जमुनाजलमें जीपें गेंद डारी कालि नागनाथ लाये ।इंद्रको गुमान हर्यो गोवरधन धारके ॥ह०॥१॥मोर मुगुट बांधे काली कामरी खांदे ।जमुनाजीमें ठाडो काना बासरी बजायके ॥ह०॥२॥देवकीको जायो काना आधिरेन गोकुल आयो...
शाम नृपती मुरली भई रानी ॥ध्रु०॥बन ते ल्याय सुहागिनी किनी । और नारी उनको न सोहानी ॥१॥कबहु अधर आलिंगन कबहु । बचन सुनन तनु दसा भुलानी ॥२॥सुरदास प्रभू तुमारे सरनकु । प्रेम नेमसे मिलजानी ॥३॥
मुरली कुंजनीनी कुंजनी बाजती ॥ध्रु०॥सुनीरी सखी श्रवण दे अब तुजेही बिधि हरिमुख राजती ॥१॥करपल्लव जब धरत सबैलै सप्त सूर निकल साजती ॥२॥सूरदास यह सौती साल भई सबहीनके शीर गाजती ॥३॥
काहू जोगीकी नजर लागी है मेरो कुंवर । कन्हिया रोवे ॥ध्रु०॥घर घर हात दिखावे जशोदा दूध पीवे नहि सोवे ।चारो डांडी सरल सुंदर । पलनेमें जु झुलावे ॥मे०॥१॥मेरी गली तुम छिन मति आवो । अलख...
फुलनको महल फुलनकी सज्या फुले कुंजबिहारी । फुली राधा प्यारी ॥ध्रु०॥फुलेवे दंपती नवल मनन फुले फले करे केली न्यारी ॥१॥फुलीलता वेली विविधा सुमन गन फुले आवन दोऊं है सुखकारी ॥२॥सूरदास प्रभु प्यारपर बारत फुले फलचंपक...
रसिक सीर भो हेरी लगावत गावत राधा राधा नाम ॥ध्रु०॥कुंजभवन बैठे मनमोहन अली गोहन सोहन सुख तेरोई गुण ग्राम ॥१॥श्रवण सुनत प्यारी पुलकित भई प्रफुल्लित तनु मनु रोम राम सुखराशी बाम ॥२॥सूरदास प्रभु गिरीवर धरको...