आई छाक बुलाये स्याम।
आई छाक बुलाये स्याम।यह सुनि सखा सभै जुरि आये, सुबल सुदामा अरु श्रीदाम॥कमलपत्र दौना पलास के सब आगे धरि परसत जात।ग्वालमंडली मध्यस्यामधन सब मिलि भोजन रुचिकर खात॥ऐसौ भूखमांझ इह भौजन पठै दियौ करि जसुमति मात।सूर,...
आई छाक बुलाये स्याम।यह सुनि सखा सभै जुरि आये, सुबल सुदामा अरु श्रीदाम॥कमलपत्र दौना पलास के सब आगे धरि परसत जात।ग्वालमंडली मध्यस्यामधन सब मिलि भोजन रुचिकर खात॥ऐसौ भूखमांझ इह भौजन पठै दियौ करि जसुमति मात।सूर,...
जसोदा, तेरो भलो हियो है माई।कमलनयन माखन के कारन बांधे ऊखल लाई॥जो संपदा दैव मुनि दुर्लभ सपनेहुं दई न दिखाई।याही तें तू गरब भुलानी घर बैठें निधि पाई॥सुत काहू कौ रोवत देखति दौरि लेति हिय...
नैन भये बोहित के काग।उड़ि उड़ि जात पार नहिं पावैं, फिरि आवत इहिं लाग॥ऐसी दसा भई री इनकी, अब लागे पछितान।मो बरजत बरजत उठि धाये, नहीं पायौ अनुमान॥वह समुद्र ओछे बासन ये, धरैं कहां सुखरासि।सुनहु...
जौ बिधिना अपबस करि पाऊं।तौ सखि कह्यौ हौइ कछु तेरो, अपनी साध पुराऊं॥लोचन रोम-रोम प्रति मांगों पुनि-पुनि त्रास दिखाऊं।इकटक रहैं पलक नहिं लागैं, पद्धति नई चलाऊं॥कहा करौं छवि-रासि स्यामघन, लोचन द्वे, नहिं ठाऊं।एते पर ये...
नटवर वेष काछे स्याम।पदकमल नख-इन्दु सोभा, ध्यान पूरनकाम॥जानु जंघ सुघट निकाई, नाहिं रंभा तूल।पीतपट काछनी मानहुं जलज-केसरि झूल॥कनक-छुद्वावली पंगति नाभि कटि के मीर।मनहूं हंस रसाल पंगति रही है हृद-तीर॥झलक रोमावली सोभा, ग्रीव मोतिन हार।मनहुं गंगा...
मुरली गति बिपरीत कराई।तिहुं भुवन भरि नाद समान्यौ राधारमन बजाई॥बछरा थन नाहीं मुख परसत, चरत नहीं तृन धेनु।जमुना उलटी धार चली बहि, पवन थकित सुनि बेनु॥बिह्वल भये नाहिं सुधि काहू, सूर गंध्रब नर-नारि।सूरदास, सब चकित...
वृच्छन से मत ले, मन तू वृच्छन से मत ले।काटे वाको क्रोध न करहीं, सिंचत न करहीं नेह॥धूप सहत अपने सिर ऊपर, और को छाँह करेत॥जो वाही को पथर चलावे, ताही को फल देत॥धन्य-धन्य ये...
कहियौ, नंद कठोर भये।हम दोउ बीरैं डारि परघरै, मानो थाती सौंपि गये॥तनक-तनक तैं पालि बड़े किये, बहुतै सुख दिखराये।गो चारन कों चालत हमारे पीछे कोसक धाये॥ये बसुदेव देवकी हमसों कहत आपने जाये।बहुरि बिधाता जसुमतिजू के...
संदेसो दैवकी सों कहियौ।`हौं तौ धाय तिहारे सुत की, मया करति नित रहियौ॥जदपि टेव जानति तुम उनकी, तऊ मोहिं कहि आवे।प्रातहिं उठत तुम्हारे कान्हहिं माखन-रोटी भावै॥तेल उबटनों अरु तातो जल देखत हीं भजि जाते।जोइ-जोइ मांगत...
जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै।यह ब्योपार तिहारो ऊधौ, ऐसोई फिरि जैहै॥यह जापे लै आये हौ मधुकर, ताके उर न समैहै।दाख छांडि कैं कटुक निबौरी को अपने मुख खैहै॥मूरी के पातन के कैना को मुकताहल दैहै।सूरदास,...
नीके रहियौ जसुमति मैया।आवहिंगे दिन चारि पांच में हम हलधर दोउ भैया॥जा दिन तें हम तुम तें बिछुरै, कह्यौ न कोउ `कन्हैया’।कबहुं प्रात न कियौ कलेवा, सांझ न पीन्हीं पैया॥वंशी बैत विषान दैखियौ द्वार अबेर...
उधो, मन न भए दस बीस।एक हुतो सो गयौ स्याम संग, को अवराधै ईस॥सिथिल भईं सबहीं माधौ बिनु जथा देह बिनु सीस।स्वासा अटकिरही आसा लगि, जीवहिं कोटि बरीस॥तुम तौ सखा स्यामसुन्दर के, सकल जोग के...