
मो सम कौन कुटिल खल कामी।
मो सम कौन कुटिल खल कामी।जेहिं तनु दियौ ताहिं बिसरायौ, ऐसौ नोनहरामी॥भरि भरि उदर विषय कों धावौं, जैसे सूकर ग्रामी।हरिजन छांड़ि हरी-विमुखन की निसदिन करत गुलामी॥पापी कौन बड़ो है मोतें, सब पतितन में नामी।सूर, पतित...
श्री कृष्ण जी के मधुर भजन, गीत और लीलाएँ! राधा-कृष्ण प्रेम की दिव्य अनुभूति। सभी भक्ति गीत BhaktiRas.in पर।
मो सम कौन कुटिल खल कामी।जेहिं तनु दियौ ताहिं बिसरायौ, ऐसौ नोनहरामी॥भरि भरि उदर विषय कों धावौं, जैसे सूकर ग्रामी।हरिजन छांड़ि हरी-विमुखन की निसदिन करत गुलामी॥पापी कौन बड़ो है मोतें, सब पतितन में नामी।सूर, पतित...
खेलत नंद-आंगन गोविन्द।निरखि निरखि जसुमति सुख पावति बदन मनोहर चंद॥कटि किंकिनी, कंठमनि की द्युति, लट मुकुता भरि माल।परम सुदेस कंठ के हरि नख,बिच बिच बज्र प्रवाल॥करनि पहुंचियां, पग पैजनिया, रज-रंजित पटपीत।घुटुरनि चलत अजिर में बिहरत...
भजु मन चरन संकट-हरन।सनक, संकर ध्यान लावत, सहज असरन-सरन॥सेस, सारद, कहैं नारद संत-चिन्तन चरन।पद-पराग-प्रताप दुर्लभ, रमा के हित-करन॥परसि गंगा भई पावन, तिहूं पुर-उद्धरन।चित्त चेतन करत, अन्तसकरन-तारन-तरन॥गये तरि ले नाम कैसे, संत हरिपुर-धरन।प्रगट महिमा कहत बनति...
मेरी माई, हठी बालगोबिन्दा।अपने कर गहि गगन बतावत, खेलन कों मांगै चंदा॥बासन के जल धर्यौ, जसोदा हरि कों आनि दिखावै।रुदन करत ढ़ूढ़ै नहिं पावत,धरनि चंद क्यों आवै॥दूध दही पकवान मिठाई, जो कछु मांगु मेरे छौना।भौंरा...
आई छाक बुलाये स्याम।यह सुनि सखा सभै जुरि आये, सुबल सुदामा अरु श्रीदाम॥कमलपत्र दौना पलास के सब आगे धरि परसत जात।ग्वालमंडली मध्यस्यामधन सब मिलि भोजन रुचिकर खात॥ऐसौ भूखमांझ इह भौजन पठै दियौ करि जसुमति मात।सूर,...
जसोदा, तेरो भलो हियो है माई।कमलनयन माखन के कारन बांधे ऊखल लाई॥जो संपदा दैव मुनि दुर्लभ सपनेहुं दई न दिखाई।याही तें तू गरब भुलानी घर बैठें निधि पाई॥सुत काहू कौ रोवत देखति दौरि लेति हिय...
नैन भये बोहित के काग।उड़ि उड़ि जात पार नहिं पावैं, फिरि आवत इहिं लाग॥ऐसी दसा भई री इनकी, अब लागे पछितान।मो बरजत बरजत उठि धाये, नहीं पायौ अनुमान॥वह समुद्र ओछे बासन ये, धरैं कहां सुखरासि।सुनहु...
जौ बिधिना अपबस करि पाऊं।तौ सखि कह्यौ हौइ कछु तेरो, अपनी साध पुराऊं॥लोचन रोम-रोम प्रति मांगों पुनि-पुनि त्रास दिखाऊं।इकटक रहैं पलक नहिं लागैं, पद्धति नई चलाऊं॥कहा करौं छवि-रासि स्यामघन, लोचन द्वे, नहिं ठाऊं।एते पर ये...
नटवर वेष काछे स्याम।पदकमल नख-इन्दु सोभा, ध्यान पूरनकाम॥जानु जंघ सुघट निकाई, नाहिं रंभा तूल।पीतपट काछनी मानहुं जलज-केसरि झूल॥कनक-छुद्वावली पंगति नाभि कटि के मीर।मनहूं हंस रसाल पंगति रही है हृद-तीर॥झलक रोमावली सोभा, ग्रीव मोतिन हार।मनहुं गंगा...
मुरली गति बिपरीत कराई।तिहुं भुवन भरि नाद समान्यौ राधारमन बजाई॥बछरा थन नाहीं मुख परसत, चरत नहीं तृन धेनु।जमुना उलटी धार चली बहि, पवन थकित सुनि बेनु॥बिह्वल भये नाहिं सुधि काहू, सूर गंध्रब नर-नारि।सूरदास, सब चकित...
वृच्छन से मत ले, मन तू वृच्छन से मत ले।काटे वाको क्रोध न करहीं, सिंचत न करहीं नेह॥धूप सहत अपने सिर ऊपर, और को छाँह करेत॥जो वाही को पथर चलावे, ताही को फल देत॥धन्य-धन्य ये...
कहियौ, नंद कठोर भये।हम दोउ बीरैं डारि परघरै, मानो थाती सौंपि गये॥तनक-तनक तैं पालि बड़े किये, बहुतै सुख दिखराये।गो चारन कों चालत हमारे पीछे कोसक धाये॥ये बसुदेव देवकी हमसों कहत आपने जाये।बहुरि बिधाता जसुमतिजू के...