
सकल सुख के कारन
सकल सुख के कारनभजि मन नंद नंदन चरन।परम पंकज अति मनोहर सकल सुख के करन॥सनक संकर ध्यान धारत निगम आगम बरन।सेस सारद रिषय नारद संत चिंतन सरन॥पद-पराग प्रताप दुर्लभ रमा कौ हित करन।परसि गंगा भई...
श्री कृष्ण जी के मधुर भजन, गीत और लीलाएँ! राधा-कृष्ण प्रेम की दिव्य अनुभूति। सभी भक्ति गीत BhaktiRas.in पर।
सकल सुख के कारनभजि मन नंद नंदन चरन।परम पंकज अति मनोहर सकल सुख के करन॥सनक संकर ध्यान धारत निगम आगम बरन।सेस सारद रिषय नारद संत चिंतन सरन॥पद-पराग प्रताप दुर्लभ रमा कौ हित करन।परसि गंगा भई...
उपमा हरि तनु देखि लजानी।कोउ जल मैं कोउ बननि रहीं दुरि कोउ कोउ गगन समानी॥मुख निरखत ससि गयौ अंबर कौं तडि़त दसन-छबि हेरि।मीन कमल कर चरन नयन डर जल मैं कियौ बसेरि॥भुजा देखि अहिराज लजाने...
हम भगतनि के भगत हमारे।सुनि अर्जुन परतिग्या मेरी यह ब्रत टरत न टारे॥भगतनि काज लाज हिय धरि कै पाइ पियादे धाऊं।जहां जहां पीर परै भगतनि कौं तहां तहां जाइ छुड़ाऊं॥जो भगतनि सौं बैर करत है...
सबसे ऊँची प्रेम सगाई।दुर्योधन की मेवा त्यागी, साग विदुर घर पाई॥जूठे फल सबरी के खाये बहुबिधि प्रेम लगाई॥प्रेम के बस नृप सेवा कीनी आप बने हरि नाई॥राजसुयज्ञ युधिष्ठिर कीनो तामैं जूठ उठाई॥प्रेम के बस अर्जुन-रथ...
माधव कत तोर करब बड़ाई।उपमा करब तोहर ककरा सों कहितहुँ अधिक लजाई॥अर्थात् भगवान् की तुलना किसी से संभव नहीं है। पायो परम पदु गातसबै दिन एक से नहिं जात।सुमिरन भजन लेहु करि हरि को जों...
कहां लौं बरनौं सुंदरताई।खेलत कुंवर कनक-आंगन मैं नैन निरखि छबि पाई॥कुलही लसति सिर स्याम सुंदर कैं बहु बिधि सुरंग बनाई।मानौ नव धन ऊपर राजत मघवा धनुष चढ़ाई॥अति सुदेस मन हरत कुटिल कच मोहन मुख बगराई।मानौ...
अब मेरी राखौ लाज, मुरारी।संकट में इक संकट उपजौ, कहै मिरग सौं नारी॥और कछू हम जानति नाहीं, आई सरन तिहारी।उलटि पवन जब बावर जरियौ, स्वान चल्यौ सिर झारी॥नाचन-कूदन मृगिनी लागी, चरन-कमल पर वारी।सूर स्याम प्रभु...
रतन-सौं जनम गँवायौहरि बिनु कोऊ काम न आयौ।इहि माया झूठी प्रपंच लगि, रतन-सौं जनम गँवायौ॥कंचन कलस, बिचित्र चित्र करि, रचि-पचि भवन बनायौ।तामैं तैं ततछन ही काढ़यौ, पल भर रहन न पायौ॥हौं तब संग जरौंगी, यौं...
अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल।काम-क्रोध कौ पहिरि चोलना, कंठ बिषय की माल॥महामोह के नूपुर बाजत, निंदा सबद रसाल।भ्रम-भोयौ मन भयौ, पखावज, चलत असंगत चाल॥तृष्ना नाद करति घट भीतर, नाना विधि दै ताल।माया कौ कटि फेंटा...
अजहूँ चेति अचेतसबै दिन गए विषय के हेत।तीनौं पन ऐसैं हीं खोए, केश भए सिर सेत॥आँखिनि अंध, स्त्रवन नहिं सुनियत, थाके चरन समेत।गंगा-जल तजि पियत कूप-जल, हरि-तजि पूजत प्रेत॥मन-बच-क्रम जौ भजै स्याम कौं, चारि पदारथ...
आनि सँजोग परैभावी काहू सौं न टरै।कहँ वह राहु, कहाँ वे रबि-ससि, आनि सँजोग परै॥मुनि वसिष्ट पंडित अति ज्ञानी, रचि-पचि लगन धरै।तात-मरन, सिय हरन, राम बन बपु धरि बिपति भरै॥रावन जीति कोटि तैंतीसा, त्रिभुवन-राज करै।मृत्युहि...
रे मन मूरख, जनम गँवायौ।करि अभिमान विषय-रस गीध्यौ, स्याम सरन नहिं आयौ॥यह संसार सुवा-सेमर ज्यौं, सुन्दर देखि लुभायौ।चाखन लाग्यौ रुई गई उडि़, हाथ कछू नहिं आयौ॥कहा होत अब के पछिताऐं, पहिलैं पाप कमायौ।कहत सूर भगवंत...