( लाल गुलाबी फूलो से, किसने आज सजाया है,
महक उठा दरबार तुम्हारा, कितना इत्र लगाया है,
हे माँ, तुम कितनी प्यारी लगती हो,
किसी की नज़र ना लगे,
सिंह सवारी करके मेरी मईया
इन भक्तो का मन लुभाया है। )

तेरा किसने सजाया श्रृंगार,
आज बड़ा प्यारा लगे,
प्यारा लगे, बड़ा प्यारा लगे,
तेरा किसने सजाया श्रृंगार…….

लाल पीले फूलों से किसने सजाया,
लाल चुनर किसने ओढ़ाया,
इन फूलों से जागे तेरा प्यार,
आज बड़ा प्यारा लगे,
तेरा किसने सजाया श्रृंगार,
आज बड़ा प्यारा लगे…..

भक्तो ने मईया तेरे दर को सजाया,
सूरज चंदन तारा भी देखन को आया,
सारी दुनिया आयी है तेरे द्वार,
आज बड़ा प्यारा लगे,
तेरा किसने सजाया श्रृंगार,
आज बड़ा प्यारा लगे…..

मैं भी हूँ मईया तेरे दर का दीवाना,
अब तक निभाई मईया, आगे भी निभाना,
‘अवतार’ की सुनो मईया पुकार, खड़े है द्वार तेरे,
आज बड़ा प्यारा लगे,
तेरा किसने सजाया श्रृंगार,
आज बड़ा प्यारा लगे…..

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