मेरो कान्ह कमलदललोचन।
अब की बेर बहुरि फिरि आवहु, कहा लगे जिय सोचन॥
यह लालसा होति हिय मेरे, बैठी देखति रैहौं॥
गाइ चरावन कान्ह कुंवर सों भूलि न कबहूं कैहौं॥
करत अन्याय न कबहुं बरजिहौं, अरु माखन की चोरी।
अपने जियत नैन भरि देखौं, हरि हलधर की जोरी॥
एक बेर ह्वै जाहु यहां लौं, मेरे ललन कन्हैया।
चारि दिवसहीं पहुनई कीजौ, तलफति तेरी मैया॥

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कामिका एकादशी

बुधवार, 31 जुलाई 2024

कामिका एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 02 अगस्त 2024

मासिक शिवरात्रि
हरियाली तीज

बुधवार, 07 अगस्त 2024

हरियाली तीज
नाग पंचमी

शुक्रवार, 09 अगस्त 2024

नाग पंचमी
कल्कि जयंती

शनिवार, 10 अगस्त 2024

कल्कि जयंती
पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

पुत्रदा एकादशी

संग्रह