अंगना में मेरे आना गुरुजी

अंगना में मेरे आना गुरुजी,
मन से ना हम को भुलाना गुरुजी…

राहों में बैठेंगे नैन बिछाए,
अब आऐ मेरे प्रभु अब आए,
हम पर ना गुरुजी महल दुमहला,
कुटिया में बना है ठिकाना गुरुजी,
अंगना में मेरे आना गुरुजी,
मन से ना हम को भुलाना गुरुजी…

आएंगे गुरु जी मैं द्वार सजाऊ,
चरणों में उनके में बलि बलि जाऊं,
ना है सिंहासन घर में मेरे,
आसन सिंहासन बनाना गुरुजी,
अंगना में मेरे आना गुरुजी,
मन से ना हम को भुलाना गुरुजी…

आये गुरु जी यह चाह हमारी,
दर्शन कर खुशी मन में हो भारी,
गंगाजल नहीं पास हमारे,
असुवन चरण धूलाना गुरुजी,
अंगना में मेरे आना गुरुजी,
मन से ना हम को भुलाना गुरुजी…

तिलक लगाऊ गले माला पहनाऊ,
चरणों में सतगुरु के शीश नवाए,
छप्पन भोग कहां से लाऊं,
प्रेम से खीचड़ी खाना गुरुजी,
अंगना में मेरे आना गुरुजी,
मन से ना हम को भुलाना गुरुजी…

मन से तुम्हारी मैं सेवा करूंगी,
जेसी भी हूं तुमरी नौकर रहूंगी,
सतगुरू का सुंदर दर्शन पाए,
ऐसी युक्ति बताना गुरुजी,
अंगना में मेरे आना गुरुजी,
मन से ना हम को भुलाना गुरुजी…

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