
कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज।
कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज।महापतित कबहूं नहिं आयौ, नैकु तिहारे काज॥माया सबल धाम धन बनिता, बांध्यौ हौं इहिं साज।देखत सुनत सबै जानत हौं, तऊ न आयौं बाज॥कहियत पतित बहुत तुम तारे स्रवननि सुनी आवाज।दई...
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कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज।महापतित कबहूं नहिं आयौ, नैकु तिहारे काज॥माया सबल धाम धन बनिता, बांध्यौ हौं इहिं साज।देखत सुनत सबै जानत हौं, तऊ न आयौं बाज॥कहियत पतित बहुत तुम तारे स्रवननि सुनी आवाज।दई...
सरन गये को को न उबार्यो।जब जब भीर परीं संतति पै, चक्र सुदरसन तहां संभार्यौ।महाप्रसाद भयौ अंबरीष कों, दुरवासा को क्रोध निवार्यो॥ग्वालिन हैत धर्यौ गोवर्धन, प्रगट इन्द्र कौ गर्व प्रहार्यौ॥कृपा करी प्रहलाद भक्त पै, खम्भ...
तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान।छूटि गये कैसे जन जीवै, ज्यौं प्रानी बिनु प्रान॥जैसे नाद-मगन बन सारंग, बधै बधिक तनु बान।ज्यौं चितवै ससि ओर चकोरी, देखत हीं सुख मान॥जैसे कमल होत परिफुल्लत, देखत प्रियतम भान।दूरदास, प्रभु हरिगुन...
कहावत ऐसे दानी दानि।चारि पदारथ दिये सुदामहिं, अरु गुरु को सुत आनि॥रावन के दस मस्तक छेद, सर हति सारंगपानि।लंका राज बिभीषन दीनों पूरबली पहिचानि।मित्र सुदामा कियो अचानक प्रीति पुरातन जानि।सूरदास सों कहा निठुरई, नैननि हूं...
धोखैं ही धोखैं डहकायौ।समुझी न परी विषय रस गीध्यौ, हरि हीरा घर मांझ गंवायौं॥क्यौं कुरंग जल देखि अवनि कौ, प्यास न गई, दसौं दिसि धायौ।जनम-जनम बहु करम किये हैं, तिन में आपुन आपु बंधायौ॥ज्यौं सुक...
चोरी मोरी गेंदया मैं कैशी जाऊं पाणीया ॥ध्रु०॥ठाडे केसनजी जमुनाके थाडे । गवाल बाल सब संग लियो ।न्यारे न्यारे खेल खेलके । बनसी बजाये पटमोहे ॥ चो०॥१॥सब गवालनके मनको लुभावे । मुरली खूब ताल सुनावे...
है हरि नाम कौ आधार।और इहिं कलिकाल नाहिंन रह्यौ बिधि-ब्यौहार॥नारदादि सुकादि संकर कियौ यहै विचार।सकल स्रुति दधि मथत पायौ इतौई घृत-सार॥दसहुं दिसि गुन कर्म रोक्यौ मीन कों ज्यों जार।सूर, हरि कौ भजन करतहिं गयौ मिटि...
रे मन, राम सों करि हेत।हरिभजन की बारि करिलै, उबरै तेरो खेत॥मन सुवा, तन पींजरा, तिहि मांझ राखौ चेत।काल फिरत बिलार तनु धरि, अब धरी तिहिं लेत॥सकल विषय-विकार तजि तू उतरि सागर-सेत।सूर, भजु गोविन्द-गुन तू...
जापर दीनानाथ ढरै।सोई कुलीन, बड़ो सुन्दर सिइ, जिहिं पर कृपा करै॥राजा कौन बड़ो रावन तें, गर्वहिं गर्व गरै।कौन विभीषन रंक निसाचर, हरि हंसि छत्र धरै॥रंकव कौन सुदामाहू तें, आपु समान करै।अधम कौन है अजामील तें,...
मन तोसों कोटिक बार कहीं।समुझि न चरन गहे गोविन्द के, उर अघ-सूल सही॥सुमिरन ध्यान कथा हरिजू की, यह एकौ न रही।लोभी लंपट विषयनि सों हित, यौं तेरी निबही॥छांड़ि कनक मनि रत्न अमोलक, कांच की किरच...
मो सम कौन कुटिल खल कामी।जेहिं तनु दियौ ताहिं बिसरायौ, ऐसौ नोनहरामी॥भरि भरि उदर विषय कों धावौं, जैसे सूकर ग्रामी।हरिजन छांड़ि हरी-विमुखन की निसदिन करत गुलामी॥पापी कौन बड़ो है मोतें, सब पतितन में नामी।सूर, पतित...
खेलत नंद-आंगन गोविन्द।निरखि निरखि जसुमति सुख पावति बदन मनोहर चंद॥कटि किंकिनी, कंठमनि की द्युति, लट मुकुता भरि माल।परम सुदेस कंठ के हरि नख,बिच बिच बज्र प्रवाल॥करनि पहुंचियां, पग पैजनिया, रज-रंजित पटपीत।घुटुरनि चलत अजिर में बिहरत...