हनुमान अमृतवाणी
भक्त राज हनुमान कासुमिरण है सुख कारजीवन नौका को करेभव सिन्धु से पार संकट मोचन नाथ कोसौंप दे अपनी डोरछटेगी दुखों को पल मेंछायी घटा घनघोर जब कष्टों के दैत्य कोलगेगा बजरंग बाणहोगी तेरी हर...
भक्त राज हनुमान कासुमिरण है सुख कारजीवन नौका को करेभव सिन्धु से पार संकट मोचन नाथ कोसौंप दे अपनी डोरछटेगी दुखों को पल मेंछायी घटा घनघोर जब कष्टों के दैत्य कोलगेगा बजरंग बाणहोगी तेरी हर...
सब मंगलमय कर देते हैं दक्षिणमुख के हनुमान प्रभु,हर बिगड़े काम बनाते हैं दक्षिणमुख के हनुमान प्रभु।। जो काम कोई ना कर सकता ऐसे ही कितने काम किए,सौ योजन की लंबी दूरी को बस एक...
जय जय राम जय जय राम,जय जय राम जय जय राम,जय जय राम जय जय राम, हे संकट मोचन करते है वंदन,तुमरे बिना संकट कौन हरे ।सालासर वाले तुम हो रखवाले,तुम्हरे बिना संकट कौन हरे...
मुझको नंदी बना लेबंधी तो मैं कबसे महादेव का बन चूका हुँअब तो बस नंदी बनाना है….. मुझको नंदी बना ले,अपना संगी बना ले,अपना बंधी बना ले मेरे भोले…. मुझको नंदी बना ले,अपना संगी बना...
पूरब से जब सूरज निकले सिंदूरी घन छाए….पवन के पग में नूपुर बाजे मयूर मन मेरा गाए….पूरब से जब सूरज निकले सिंदूरी घन छाए….पवन के पग में नूपुर बाजे मयूर मन मेरा गाए….मन मेरा गाए……..ॐ...
तुम प्रांरभ हो आरम्भ हो तुम्ही अंत हो,जिसे देवता ही नहीं दानव भी पूजे,मेरे शभूनाथ तुम ऐसे सन्त हो । मेरा हाथ थाम भोले,यूं ही साथ साथ चलना ।मन शंभू-शंभू बोले,भोले इतना वर देना ॥...
जय शिव शंकर जय गंगाधर करूणाकरकरतार हरे ,जय कैलाशी जय अविनाशी सुखराशी सुखसार हरे ।जय शशिशेखर जय डमरूधर जय-जय प्रेमा गार हरे ,जय त्रिपुरारी जय मदहारी अमित अनन्त अपार हरे ।निर्गुण जय जय सगुन अना...
देवों के देव तुम महादेव,देखूं में जहां तुम वहां देव ।मेरे रग रग में हो भोलेनाथ,तुम चलो साथ चलूं जहां देव ॥ तुम नीलकंठ तुम हरिकंठ,तुम हरी हरी विषभरी कंठ,तुम शंकर हो तुम सर्वदेव,तुम विष...
शिव मुझमे है शिव तुम में है ….शिव अनेक में शिव एक है ….हर कण-कण का मन है शिव से रौशन,बोल बम-बम मिलेंगे शिव के दर्शनबन जाऊं भस्म शिव मुझको ओढ़ ले,मिल जाए अगर शिव...
ऐसी लागी लगन है तेरे नाम कीबाबा लागी लगन है तेरे नाम कीकोई पागल बुलाए तो मैं क्या कारूऐसी लागी लगन है तेरे नाम कीबाबा लागी लगन है तेरे नाम की……. तेरे चेहरे का तेज...
किस्मत लिखने वाले को भगवान कहते है ।किस्मत बदलने वाले को महाकाल कहते है ॥हर हर शम्भु बोलो शिव शंभू…. जटा में जिसके गंग कि धारा,गले में सर्पों कि माला ।जिसने सारा जग है तारा,वही...
तू ही अन्त तू अनन्त है चराचर मे तू …जय महाकाल ….तू ही अन्त तू अनन्त है चराचर मे तू ….जय महाकाल ….मेरे माथे जो लगा उस चन्दन में तू ।श्रष्ठी का जीव से है...