दर पर तुम्हारे आया ठुकराओ या उठा लो

दर पर तुम्हारे आया, ठुकराओ या उठा लो,
करुणा के सिंधु मालिक, अपनी विरद बचा लो ||

मीरा या शबरी जैसा, पाया हृदय न मैंने,
जो है दिया तुम्हारा, लो अब इसे संभालो,
दर पर तुम्हारे आया, ठुकराओ या उठा लो..

दिन रात अपना अपना, करके बहुत ठगाया,
कोई हुआ न अपना, अपना मुझे बना लो,
दर पर तुम्हारे आया, ठुकराओ या उठा लो..

दोषी हु मै या सारा, ये खेल है तुम्हारा,
जो हो समर्थ हो तुम, चाहे गज़ब जो ढालो,
दर पर तुम्हारे आया, ठुकराओ या उठा लो..

बस याद अपनी दे दो, सब कुछ भले ही ले लो,
विषमय करील पर अब, करुणा की दृष्टि डालो,
दर पर तुम्हारे आया, ठुकराओ या उठा लो..

दर पर तुम्हारे आया, ठुकराओ या उठा लो
करुणा की सिंधु मालिक, अपनी बिरद बचा लो ||

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी
पुत्रदा एकादशी

मंगलवार, 05 अगस्त 2025

पुत्रदा एकादशी

संग्रह