मेरे राघव जी उतरेंगे पार हो,
गंगा मैंया धीरे बहो ।
धीरे बहो धीरे बहो हौले बहो,
गंगा मैंया धीरे बहो ।।
मेंरे प्रभू जी उतरेंगे पार हो,
गंगा मैंया धीरे बहो ।
आज सफल हुये नयन हमारे,
प्रभू जी विराजे हैं नाव हमारे ।।
ये तो जग के पालनहार,
गंगा मैंया धीरे बहो ।
मेंरे प्रभू जी उतरेंगे पार हो,
गंगा मैंया धीरे बहो ।।
भव सरिता के खेवनहारे ।
आज हमारे नाव पधारे ।।
ये तो दशरथ राजकुमार,
गंगा मैंया धीरे बहो ।
मेंरे राघव जी उतरेंगे पार हो,
गंगा मैंया धीरे बहो ।।
सीता लखन ,प्रभू पार उतारो ।
बिगड़ी जनम आगे की सुधारो ।।
ये तो रघुबर प्राणाधार ,
गंगा मैंया धीरे बहो ।
मेंरे राघव जी उतरेंगे पार हो ,
गंगा मैंया धीरे बहो ।।
केवट उतरी दंडबत कीना,
प्रभू उतराई मणि मुद्रिका दीना ।
कहें कृपालु लेलो उतराई,
केवट चरण पकड़ अकुलाई ।।
अब कछु नाथ न चाहिये मोरे,
दीन दयालु अनुग्रह तोरे ।
फिरती बार मैं जो कछु पावा ,
समझ प्रसाद मैं सिर धरि पावा।।
मेंरे राघव जी उतरेंगे पार हो ।
गंगा मैंया धीरे बहो ।।
Author: रिया सिंह जी