मीठा लागे भीलनी रा बोर,
ओ लक्ष्मण भैया,
मीठा लागे सबरी रा बोर ।
छोटे भैया मीठा लागे भीलनी रा बोर ।
इण वन खण्ड में भैया,
कबहुँ न आया ।
फिर गया चारूं ओर ओ लक्ष्मण भैया,
मीठा लागे सबरी रा बोर ।
इण बोरां में भैया,
केई – केई मीठा ।
खांडी है जिण री कोर ओ लक्ष्मण भैया,
मीठा लागे सबरी रा बोर ।
एड़ा – एडा बोर देती,
मात कौशल्या ।
जिण री रचना है और ओ लक्ष्मण भैया,
मीठा लागे सबरी रा बोर ।
तुलसीदास शबरी बड़ भागण ।
घर आया राज किशोर ओ लक्ष्मण भैया,
मीठा लागे सबरी रा बोर ।
मीठा लागे भीलनी रा बोर,
ओ लक्ष्मण भैया,
मीठा लागे सबरी रा बोर ।
छोटे भैया मीठा लागे भीलनी रा बोर ।
Author: प्रकाश माली जी