पलकें ही पलकें बिछायेंगे,
जिस दिन रघुवर महलों मैं आयेगे॥

हम तो हैं रघुवर के जन्मों से दीवाने रे॥
भारत को हम सजायेगे ….
जिस दिन रघुवर महलों मैं आयेगे

सरयू जी का तट हमने दीपो से सजाया
अयोध्या को तो हमने दुल्हन सा सजाया
भक्तो के मन हर्षायेगे
जिस रघुवर महलों में आयेगे

आंखो के आंसू से, प्रभु के चरण पखारूँ
भोग लगाऊं लाड़ लगाऊं, आरती उतारूं
राम का उत्सव मनायेगे
जिस दिन रघुवर महलों मैं आयेगे

बरसो को ये सपना हमारा पूरा होने वाला है
राम भगतो को राम का बुलावा आने वाला है
हम सब दर्शन को अब जायेगे,
जिस दिन रघुवर महलों मैं आयेगे

नटवर नागर नन्द के लाला, का मंदिर अभी बाकी है
काशी मैं तो भोले बाबा का सजना अभी बाकी है
वहा के भी द्वार खुल जायेगे
जिस दिन रघुवर महलों मैं आयेगे

‘गुप्ता’ के संग मिलकर के हम भजन सुनायेगे
फटाके के जला के हम दिवाली मनाएंगे
आंगन मैं रंगोली बनायेगे
जिस दिन रघुवर महलों मैं आयेगे

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कामिका एकादशी

बुधवार, 31 जुलाई 2024

कामिका एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 02 अगस्त 2024

मासिक शिवरात्रि
हरियाली तीज

बुधवार, 07 अगस्त 2024

हरियाली तीज
नाग पंचमी

शुक्रवार, 09 अगस्त 2024

नाग पंचमी
कल्कि जयंती

शनिवार, 10 अगस्त 2024

कल्कि जयंती
पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

पुत्रदा एकादशी

संग्रह