पिंजरा के पंछी बोले

पिंजरा के पंछी बोले

पिंजरा के पंछी बोले,
रही रही के कुण्डी खोले ।
मोला पार लगादे राम,
मोला पार लगादे राम ।।

मोला जाना है ।
जाना है राम लाला के धाम।।

राम राम के नाम ला लेवत,
फुर फुर में उड़ जाहु ।
कतको मोला पकड़बे तेहा,
तोर हाथ नई आहु ।।

कतको मोला पकड़बे मेहा,
तोर हाथ नए आहु ।
तोर चरण मा में गिर जाहु,
जीवन ला सुफल बनाहु ।।

मोला पार लगादे राम,
मोला जाना है ।
जाना है राम लाला के धाम ।।

का करहु तोर रतन सिहासन,
का तोर महल अटारी ।
मोर बर सब माटी के ढेला,
सुनले रे संगवारी ।।

मोर बर सब माटी के ढेला,
सुन ले रे संगवारी ।
जब तोर संदेशा आही,
सुवना मोर तन के उड़ाही ।।

मोला जाना है ।
जाना है राम लाला के धाम ।।

लाला चंचल राम दरश बर,
जीवन भर गुन गाइस ।
राम नाम के महिमा गाके,
दुनिया मा बगराईस ।।

राम नाम के महिमा गाके,
दुनिया माँ बगराईस ।
बेनाम के सुनले बानी,
सुवना ये तन के परानी ।।

मोला जाना है ।
जाना है राम लाला के धाम ।।

पिंजरा के पंछी बोले,
रही रही के कुण्डी खोले ।
मोला पार लगादे राम,
मोला पार लगादे राम ।।

मोला जाना है ।
जाना है राम लाला के धाम ।।

Author: चंदन धीवर जी

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