राम बिना जगत में,
कोई नहीं है अपना रे,
सच केवल राम है,
बाकी जग झूठा सपना रे,
राजीव मुझसे रहें राम राजी,
ऐसा कर्म मुझे करना है,
जहाँ धर्म है सत्य है,
मुझे उसी डगर पे चलना है,
राम बिना जगत में,
कोई नहीं है अपना रे….
मुझ पर मेरे राम की कृपा है,
जो अब तक मैं संभला हूं,
सदा सर्वदा संकटों से,
ले नाम राम का निकला हूं,
राम मेरे मैं हूं राम का,
फ़िकर भला क्यूं करना रे,
है नाम राम का सुखदाई,
सदा राम को भजना रे,
राम बिना जगत में,
कोई नहीं है अपना रे….
राम शरण में जब से हूं आया,
बिन मांगे सब है पाया,
दुखों का साया होगा क्यूं,
मुझ पे है जो राम का साया,
जहाँ राम हैं यश वहीं है,
मधुर वहीं जीवन रसना रे,
राम हृदय में बसे हैं मेरे,
मुझे राम चरणों में बसना रे,
राम बिना जगत में,
कोई नहीं है अपना रे,
राम बिना जगत में,
कोई नहीं है अपना रे…..
Author: राजीव त्यागी नजफगढ़