कालो के काल शिव महाकाल,
उसे कौन छुए शिव जिसकी ढाल,
गंगा है जटा में सर्प भाल,
तन पे भभूत गल सर्प माल,
शिव में समायी सारी सृष्टि,
सृष्टि में शिव है समाया,
ॐ नमः शिवाया, शिवाया, नमः शिवाया…..
पीके भंग भोले मलंग जब जोगनियो के संग डोले,
भूत प्रेत औघड़ झूमे, महाकाल जटाये जब खोले,
नरम तराज़ू शिव का डमरू, पाप पुण्य सबके तोले,
अगड़ बम ब बम बगड़ बम ब बम, शिव में रविश धड़कन बोले,
ॐ नमः शिवाया, शिवाया, नमः शिवाया…..
Author: Unknown Claim credit