महादेव कौन है ??

संसार के संहारकर्ता !!!
जो विनाश करके संसार को संतुलित रखते हैं।
उनका ना आदि है और ना अंत है,
अविनाशी हैं । विश्वनाथ है, कालोपरी है ।
पंचमहाभूतों के नाथ, भूतनाथ है वो !!

कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि।।
भवं भवानीसहितं नमामि।।

वो पुण्यों से ऊपर पाप से परे
डर भी जिसके नाम से डरे
दाग मग डोले धारा सारी जो
एक बार हुंकार भरे

वो तप में तो गंभीर लगे
हो शांत वो गंगा का नीर लगे
वो मस्त मगन है अपनी धुन में
क्रोधित नयन शमशीर लगे

त्रिलोचन खोले तीसरी आंख
तो तप से ये ब्रह्माण्ड जले
वो क्रोध में रुद्र होकर उग्र
शत्रु को ले शमशान चले

सब जीव जंतु में प्राण तोहसे
ब्रह्माण्ड तुझमें बसता है
हान जीवन मृत्यु से मुक्ति तू
और मोक्ष का तू ही रास्ता है

हे सूरसूदन तू नाश करदे
मेरे अंदर बैठे अंधकार को
जितना भरा है विष मुझमे
तू हारले जैसे कालकूट हो

सोम सूर्य अग्नि लोचन
तू ही है मेरा संकटमोचन
तू ही माता तू ही पिता
या तू ही सखा हे पश्विमोचन

विकराल काल है वो
जीव हैं वो, भ्रम है वो
वो ही अमर है
और प्रत्येक मृत्यु में वो ही मरते भी है
पृथ्वी वो है आकाश वो है
बंधन है वो और मुक्ति भी वही है
शांति भी वो है और समस्त अशांति भी वो है
वही ब्रह्मा है और वही नारायण
कालकूट विष और अमृत भी वही है
और सभी कारणों के प्रमुख कारण हैं

(नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ।।)

तू पहला योगी मेरा आदियोगी
तू पहला नाथ मेरा आदिनाथ
तू पहला गुरु मेरा आदिगुरु
हे शिव शंकर मेरे भोलेनाथ

तेरे गले विराजे नाग वासुकी
आंखें मैं तेज है छवि सूर्य की
भस्म रमा घुमे मृत्युंजय
माथे पर चंदा रखता कपर्दी

जब जब डम डम डमरू बाजे
बन नटराज शिव तांडव नाचे
तीनो लोक में कोई ना ऐसा
जो बच तेरे त्रिशूल से भागे

सब कुछ मिथ्या तू साकार है
तू ही पवित्र ओंकार है
देखे तुझको जो कोई जैसा
ले लेता तू वो आकार है

तुझसे ना कुछ छुपा है भोले
सर्वव्यापी है तू सर्वज्ञ
दास पड़ा तेरे चरणों में लिपटा
क्षमा करो गर लगूं असभ्य

आती नहीं सांसारिक भक्ति
तुझको मैं कैसे प्रसन्न करूं
ये भेंट चढ़ावा बस की ना मेरे
हृदय से तेरा ध्यान करूं

अब हर तू काल दुख कष्ट हर
हर रोग दरिद्र शंकर
हां पाप बाधा सृष्टि पे नाश कर
महाकाल तू बनकर

हे पशुपति हे व्योमकेश
तेरे जग में है अनेक भेष
सब कुछ तेरा संपूर्ण जगत में
तू ही तो है त्रिलोकेश

” वही है देवों के देव महादेव “

कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि।।
भवं भवानीसहितं नमामि।।

महादेव….!! महादेव….!!

Author: Raanjha

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कालभैरव जयंती

शुक्रवार, 22 नवम्बर 2024

कालभैरव जयंती
उत्पन्ना एकादशी

मंगलवार, 26 नवम्बर 2024

उत्पन्ना एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 29 नवम्बर 2024

मासिक शिवरात्रि
गीता जयंती

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

मोक्षदा एकादशी
दत्तात्रेय जयंती

शनिवार, 14 दिसम्बर 2024

दत्तात्रेय जयंती

संग्रह