तर्ज – लिखने वाले ने लिख डाले

लिखने वाले लिख लिख हारे,
शिव की अमर कहानी,
रीझे तो सुर असुर ना देखे,
ऐसे औघड़ दानी, सदाशिव,
रीझे तो सुर असुर ना देखे,
ऐसे औघड़ दानी,
सच कहते है अधिक ही भोले,
सच कहते है अधिक ही भोले,
तुम्हरे नाथ भवानी, भवानी,
रीझे तो सुर असुर ना देखे,
ऐसे औघड़ दानी…….

भस्मासुर पर कृपा लुटाई,
अपनी विपदा आप बुलाई,
हरी ने हर की रक्षा की तब,
हरी ने हर की रक्षा की तब,
बनकर नारी सुहानी, सुहानी,
रीझे तो सुर असुर ना देखे,
ऐसे औघड़ दानी, सदाशिव,
रीझे तो सुर असुर ना देखे,
ऐसे औघड़ दानी……

सिंधु से निकला गरल पचाया,
श्रष्टि को जलने से बचाया,
भूतनाथ पर उपकारी को,
भूतनाथ पर उपकारी को,
प्यारा है हर प्राणी,
रीझे तो सुर असुर ना देखे,
ऐसे औघड़ दानी, सदाशिव,
रीझे तो सुर असुर ना देखे,
ऐसे औघड़ दानी…….

शिवजी को जल बहुत सुहाए,
फिरते है गंगा सिर पे उठाए,
जो मांगो वरदान में दे दे,
जो मांगो वरदान में दे दे,
पा लुटिया भर पानी,
रीझे तो सुर असुर ना देखे,
ऐसे औघड़ दानी, सदाशिव,
रीझे तो सुर असुर ना देखे,
ऐसे औघड़ दानी…….

Author: रविन्द्र जैन

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