माये मेरिये भंग घुटवांदा है

माये मेरिये भंग घुटवानदा है,
जे ना घोटा ते डमरू बजांदा है,
भंग पी के समाधिया लांदा है…..

ना कोई ओहदी चुंगी झोपड़ी,
ना कोई महल चब्बारा,
माये मेरिये ओ मड़िया च रहन्दा है,
जे ना घोटा ते डमरू बजांदा है……

ना ओ पांदा लूंगी धोती,
ना कोई छाल बिछांदा,
माये मेरिये ओ मृगशाला पांदा है,
जे ना घोटा ते डमरू बजांदा है……

ना कोई ओहदा बहन भाई,
ना कोई साथ सबन्दी,
माये मेरिये ओ भूता संग रहन्दा है,
जे ना घोटा ते डमरू बजांदा है……

ना ओ खांदा माखन मिश्री,
ना कोई हलवा पूरी,
माये मेरिये ओ आक धतूरा खांदा है,
जे ना घोटा ते डमरू बजांदा है…..

Author: Unknown Claim credit

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