गन्दला दा साग रोटी मक्की दी बनाई आ,
खा लै ठाकरा वे ऐनी देर क्यों लगाई आ
मखनी दा पेडा लस्सी छने विच पाई आ
खा लै ठाकरा वे ऐनी देर क्यों लगाई आ

सारे कम छड के मैं तेरे मोहरे बेह गया,
देखन तमाशा जग मेरे पीछे पै गया,
तेरे लई मैं यारा हो जींद तली ते टकाई आ,
खा लै ठाकरा वे ऐनी देर क्यों लगाई आ

छड के जमाना लाइया तेरे नाल यारियां ,
भुखियाँ प्यासे राता बेठ के गुजारियां,
लोका देयां ताहनेया हो आरी सीने ते चलाई आ
खा लै ठाकरा वे ऐनी देर क्यों लगाई आ

हथ जोड़ के आखा जग दा हासा होर बनाई न
दुनिया ने मुख फेर लिया हूँ तू वी मुख प्रताई ना
तू अगर है जिदी ते फिर मैं वी हठ पका हां
पथरा चो बुलाओ मैं वी करन जांदा थका हां
कन खोल के सुन लै तेनु धने जट दा केहना ऐ,
इस निमाने जट दे हथो भोग लगाउना पेना ऐ,
तेनु औना पेना ऐ

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

गीता जयंती

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

मोक्षदा एकादशी
दत्तात्रेय जयंती

शनिवार, 14 दिसम्बर 2024

दत्तात्रेय जयंती
अन्नपूर्णा जयन्ती

रविवार, 15 दिसम्बर 2024

अन्नपूर्णा जयन्ती
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

रविवार, 15 दिसम्बर 2024

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
संकष्टी चतुर्थी

बुधवार, 18 दिसम्बर 2024

संकष्टी चतुर्थी

संग्रह