समराथल वाले करियो विग्न सब दूर
पींपासर मे आप विराजे,समराथल थारो आसन साजे
ढोल नगाङा नोपत बाजे मुख पर बरसत नूर
विष्णु जी के हो अवतारी,तीन लोक मे महिमा भारी
पूजे बालक ओर नर नारी म्हाने विधा देवो भरपूर
जैसलमेर के जेतसिंह राजा,उनकी राखी तुमने लाजा
मिट गई कोढ बदन भए ताजा आए सकल हजूर
उमा बाई ने भांत भरायो,खेजङिया रो बाग लगायो
जोखो जी मन मे शरमायो कियो घमण्ड सब चूर
देश-देश से नर पती आए,अनुभव ज्ञान अग्न झङवाए
बङे-बङे राजा परचाए भया भरम सब दूर
जम्भगुरू ने संसार मनावे,सबका बेङा पार लगावे
सदानन्द थने शीश नवावे आईजो आप हजूर
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