श्री बटुक भैरव चालीसा
दोहा:
जय जय जय जय बटुक नाथ, कृपा करहु दिन जानि।
नाथ सकल संसार के, दुख हरहु भगवान॥
चालीसा:
जय बटुक भैरव अति प्यारे।
नाथ सकल दुख हारन हारे॥
करुणा सिन्धु दीन पर दयाला।
सदा सहायन भक्त प्रतिपाला॥
गंगाजल सम पावन रूपा।
शिव अवतार महा अनूपा॥
त्रिनयन धारी, भूतन बासी।
भक्तन हेतु सदा उर उदासी॥
त्रिशूल चाप सदा कर धारी।
दुष्ट दलन करुणा हितकारी॥
श्वान वाहन साथ तुम्हारा।
कृपा करो दुख दूर हमारा॥
भैरव नाम सदा सुखकारी।
भक्तन हेतु मंगलकारी॥
सर्व सिद्धि दाता तुम हो।
शरण पड़े, दुख का अंत हो॥
महाकाल के अंश पावन।
जो कोई जपे नाम सावन॥
भूत पिशाच भय दूर भगावे।
संकट कोई निकट न आवे॥
जो कोई चालीसा गावे।
सकल मनोरथ फल वह पावे॥
बटुकनाथ की कृपा न्यारी।
सकल सिद्धि हो भंडारी॥
दोहा:
जो कोई यह चालीसा, प्रेम सहित उर धार।
सब कष्टों का नाश कर, भव सागर से पार॥
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