श्री काल भैरव चालीसा
दोहा:
जय जय जय जय काल भैरवी, करहु कृपा दीन जानि।
नाथ सकल संसार के, दुख हरहु भगवान॥
चालीसा:
जय भैरव भूतों के नाथा।
संकट मोचन करहु विधाता॥
काल रूप तुम कराल सुजाना।
दुष्ट दलन जग में विधि नाना॥
भूत प्रेत पिशाच निशाचर।
सभी भय खावे तुम्हरी नजर॥
रुद्र रूप धरि काल तुम आए।
त्राहि त्राहि सब लोक चिल्लाए॥
डमरूधारी, गले में फंदा।
बिना तुम्हारी कृपा न फंदा॥
सत्य असत्य का तुम हो ज्ञाता।
त्रिलोक में तुम पालन दाता॥
रक्त पान की भूख तुम्हारी।
दुष्ट दलन की रीति तुम्हारी॥
श्वान वाहन संग तुम आते।
शमशान में तुम ध्यान लगाते॥
दीनबंधु, दयालु कृपानिधि।
सदा सहायक हो भवसिन्धि॥
असुर निकंदन, जग के त्राता।
जय जय जय कालिके भ्राता॥
महाकाल की कृपा तुम्हारी।
जो भी शरण पड़े दुःख हारी॥
भैरव ध्यान करे जो कोई।
संकट निकट न आवे कोई॥
जय हो बाबा भैरव नाथा।
नवग्रह दोष मिटावें साता॥
जो कोई यह चालीसा गावे।
सब संकट से मुक्ति पावे॥
दोहा:
भैरव चालीसा जो कोई, पाठ करे उर धार।
सब कष्टों का नाश कर, भव से लगे पार॥
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