श्री कोटेश्वर महादेव चालीसा
दोहा:
जय कोटेश्वर महादेव, दयालु कृपा निधि।
भक्तन के संकट हरहु, संकट मोचन सिद्ध॥
चालीसा:
जय कोटेश्वर महादेव, कृपा करो नाथ।
भक्तन के हो संकट हारी, राखहु सदा हाथ॥
सौराष्ट्र भूमि में विराजे, कोटि देव जब शीश नवाजे।
साक्षात् महादेव तुम्ही हो, भक्तन के तुम भाग्य विधाता॥
गंगा धारण शशि सिर सोहे, नागराज गले में शोभे।
त्रिशूल, डमरू ध्वनि जब होती, भक्तन की बाधा तब रोती॥
दर्शन मात्र पाप सब हरता, संकट, रोग, कष्ट टरता।
जो भी भक्त मन से ध्यावे, शिव-कृपा से काज बनावे॥
पार्वती संग ध्यान जो धरई, सब इच्छाएँ पूर्ण करई।
रुद्राक्ष की माला जो जापे, भवसागर से तरन वह पावे॥
जो भी जल से अर्घ्य चढ़ावे, शिव-संयोग मुक्ति वह पावे।
शिवरात्रि जो पर्व मनावे, संकट सब उसके मिट जावे॥
कोटि युगों तक भक्ति तुम्हारी, शिव-कृपा की वर्षा भारी।
भक्तन को वरदान है देते, संकट में नाथ संग रहते॥
दोहा:
कोटेश्वर महादेव कृपा करहु, संकट हरहु सहाय।
जो भी सुमिरन करहि तुम्हारा, पार उतारहु नाथ॥
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