श्री लक्ष्मी नारायण चालीसा

श्री लक्ष्मी नारायण चालीसा

दोहा:
नमो नमो जय लक्ष्मी नारायण, करहु कृपा जग पालन हारी।
सुख संपत्ति प्रदायक दाता, सेवक के दुख दूर करारी॥

चालीसा:

जय जय लक्ष्मी नारायण, संकट हरन सुजान।
सुख सम्पत्ति के दाता, तुम हो भगवत प्राण॥

श्वेत कमल पर राज विराजे, चतुर्भुज रूप सुहाय।
शंख, चक्र, गदा कर धारी, जग में जय-जय गाए॥

माता लक्ष्मी संग बिराजे, करुणा बरसाते हो।
भक्तों के तुम सदा सहाय, दरस को तरसाते हो॥

दूर्वासा जब श्राप सुनायो, तुम बन गयो नराय।
धारा पर लीला रचाई, भक्तन हित उपाय॥

क्षीरसागर में शेष शैया, महिमा तुम अपार।
जो भी भजे प्रेम से तुमको, हो भवसागर पार॥

असुर संहारन नाम तुम्हारा, भक्तन के पालनहारा।
त्रिभुवन पूज्य तुम जगदीश, संकट हरो हमारा॥

शरण पड़े जो मन से गाए, विपदा दूर करे।
भोग मोक्ष प्रदायक स्वामी, धन वैभव से भरे॥

जो भी गावे चालीसा यह, प्रेम सहित दिन रात।
लक्ष्मी नारायण कृपा करें, मिटे सकल संकट॥

दोहा:
लक्ष्मी नारायण की महिमा, कहे ना जाए बखान।
जो नर नित दिन भजै, बने सदा सुखधाम॥

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