श्री ओंकारेश्वर चालीसा
दोहा:
ॐकारेश्वर जय जय, त्रिभुवन के आधार।
करहु कृपा हे देव, हरहु सकल विकार॥
चालीसा:
जय ओंकारेश्वर जय भवानी।
सकल विश्व के तुम हो स्वामी॥
शिव स्वरूप महादेव दयाला।
भक्तन के तुम हो रखवाला॥
नर्मदा तट शोभित मंदिर।
जहाँ विराजे ज्योति अखंड॥
सिद्धि दाता, दीन दयाला।
कृपा करहु भव बंधन ताला॥
त्रिपुरारी, नीलकंठ महेश।
शक्ति सहित हो भक्त नरेश॥
नंदी संग विराजे महाकाय।
सुर, मुनि, नर करते वंदनाय॥
त्रिशूल, डमरू, नाग सुहाए।
मस्तक पर गंगाजल छाए॥
चतुर्भुज रूप अनूप तुम्हारा।
सकल विघ्न हरहु भव धारा॥
ब्रह्मा, विष्णु, सुरगण ध्यावें।
नित्य तुम्हारी महिमा गावें॥
दुख दरिद्रता दूर करो प्रभु।
करहु कृपा, संकट हरहु॥
जो नर ध्यान लगावे तुम्हारा।
सकल मनोरथ पावे सारा॥
अगम ज्ञान की जोत जलाओ।
मम भवसागर से तारो॥
दोहा:
जो कोई श्रद्धा से गावे,
भवसागर से पार करावे॥
नित दर्शन जो जन पावे,
सुख संपत्ति संग बस जावे॥
Author: Unknown Claim credit