श्री परशुराम चालीसा

श्री परशुराम चालीसा

दोहा:
जय जय सुत जमदग्नि प्रभु, जय रेणुका नंद।
अखिल विश्व उधार हित, कीन्हो भव आनंद॥

चालीसा:

जय जय परशुराम बलवाना।
भृगुकुल तिलक पुण्य की खजाना॥

रेणुका सुत महा प्रतापी,
दुष्ट दलन भव भय संत्राती॥

शंकर पद अति अनुरागी,
परशु हाथ धरहू भव त्यागी॥

कश्यप मुनि के वचन निभाए,
क्षत्रिय कुल संहार कराए॥

सहस्त्रार्जुन हठ जब कीन्हा,
भूमि धर्म तब तुमने लीन्हा॥

माता का वध जब तुम कीन्हा,
पितु आज्ञा से पुनः जियावन्हा॥

शिवजी से धनुष तुम पाए,
रामचंद्र को दिए सुखदाए॥

गंगा तीर तपस्या कीन्ही,
अक्षय पुण्य महा फल दीन्ही॥

सहस्त्रार्जुन को मारा भारी,
धरा पवित्र की नर नारी॥

धनुर्विद्या के आचार्य तुम्ही हो,
शास्त्र वेद के आधार तुम्ही हो॥

जो नर भक्ति सहित गुण गावे,
सकल मनोरथ सिद्धि पावे॥

दोहा:
परशुराम प्रभु की कृपा, भव भय दूर करे।
जो जन श्रद्धा से गावे, मोक्ष धाम न टरे॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

हरतालिका तीज

मंगलवार, 26 अगस्त 2025

हरतालिका तीज
गणेश चतुर्थी

बुधवार, 27 अगस्त 2025

गणेश चतुर्थी
परिवर्तिनी एकादशी

बुधवार, 03 सितम्बर 2025

परिवर्तिनी एकादशी
ओणम / थिरुवोणम

शुक्रवार, 05 सितम्बर 2025

ओणम / थिरुवोणम
अनंत चतुर्दशी

शनिवार, 06 सितम्बर 2025

अनंत चतुर्दशी
भाद्रपद पूर्णिमा

रविवार, 07 सितम्बर 2025

भाद्रपद पूर्णिमा

संग्रह