श्री रामेश्वर चालीसा
दोहा:
रामेश्वराय नमः, शिवशंकर कृपाल।
भक्तन के दुख दूर कर, दयालु कर निहाल॥
चालीसा:
जय जय श्री रामेश्वर नाथा।
संकट हरहु दीन के साथा॥
त्रेता में प्रभु राम पधारे,
सेतुबंध रचि सागर तारे॥
लंका विजय हेतु मन लाई,
महादेव की पूजा करवाई॥
धनुर्धर राम किए तब पूजा,
कृपा भई शिव बने दुर्ज्ञ॥
भक्तन की रक्षा जो करते,
संकट में सदा संग रहते॥
सिर पर गंगा शोभित भारी,
नागराज तन पर वारी॥
त्रिशूल, डमरू, कर में धारी,
भूत-प्रेत के नाथ तुम्हारी॥
दर्शन मात्र पाप सब हरता,
भवसागर से भव को तरता॥
जो भी भक्त भाव से ध्यावे,
शिव-कृपा से काज बनावे॥
रामेश्वर जो नित नित गावे,
सर्वसिद्धि वह नर पावे॥
शिवरात्रि जो व्रत कर लेई,
सकल मनोरथ सिद्धि देई॥
जो भी जल से अर्घ्य चढ़ावे,
शिव-संयोग मुक्ति वह पावे॥
दोहा:
रामेश्वर महादेव जय, कृपा करो दिन रात।
भक्तन की रक्षा करहु, संकट हरहु नाथ॥
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