मंत्र संग्रह धार्मिक कार्यों, पूजा, अनुष्ठान आदि में मंत्रों का सर्वाधिक महत्त्व है। वैसे तो मंत्रों के अर्थ इतना महत्व नहीं रखते क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि मंत्रों के अर्थ में नहीं बल्कि ध्वनि में शक्ति होती है।

‘मंत्र’ का अर्थ शास्त्रों में ‘मन: तारयति इति मंत्र:’ के रूप में बताया गया है, अर्थात मन को तारने वाली ध्वनि ही मंत्र है।
वेदों में शब्दों के संयोजन से ऐसी ध्वनि उत्पन्न की गई है जिससे मानव मात्र का मानसिक कल्याण हो। जिन्हें मंत्र कहा गया है।

ये किसी व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं लिखे गए हैं अर्थात् किसी व्यक्ति के द्वारा इनकी रचना नहीं हुई है, बल्कि वर्षों की साधना के बाद ऋषि-मुनियों ने इन ध्वनियों को सुना है। विशेषकर बीज मंत्रों के बीजाक्षरों का अर्थ साधारण व्यक्ति के लिए समझना बहुत मुश्किल है। ऐसा माना जाता है कि मंत्रोच्चारण से ऐसी शक्ति उत्पन्न होती है जो भगवान को विचलित कर सकती है।

मंत्र जाप से उत्पन्न होने वाली तरंगों से वातावरण में कम्पन्न होता है। मंत्र जप से व्यक्ति को पूरे ब्रह्मांड की एकरूपता का ज्ञान प्राप्त होता है। मन का लय हो जाता है और मन भी शांत हो जाता है। मंत्रजप के अनेक लाभ हैं – आध्यात्मिक प्रगति, शत्रु का विनाश, अलौकिक शक्ति पाना, पाप नष्ट होना और वाणी की शुद्धि आदि।

पंचाक्षर मंत्र

पंचाक्षर मंत्र

ॐ धूं धूमावती देवदत्त धावति स्वाहा॥ ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट्॥ ॐ हूं स्वाहा ॐ॥ ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं हूँ फट्॥ ॐ ह्रीं त्रीं ह्रुं फट्॥ ऐं क्लीं सौः सौः क्लीं॥ श्रीं क्लीं श्रीं नमः॥

मां लक्ष्मी मंत्र

मां लक्ष्मी मंत्र

स्ह्क्ल्रीं हं॥ श्रीं क्लीं श्रीं॥ ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥ ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः।। ॐ ह्रीं हूं हां ग्रें क्षों क्रों नमः॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं...

मां सरस्वती मंत्र

मां सरस्वती मंत्र

ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः॥ वद वद वाग्वादिनी स्वाहा॥ ऐं लृं॥ ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि।तन्नो देवी प्रचोदयात्॥ ऐं॥ ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः॥ ॐ ऐं नमः॥ ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म...

दुर्गा मंत्र

दुर्गा मंत्र

ॐ सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥१॥ सृष्टि स्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि!।गुणाश्रये गुणमये नारायणि! नमोऽस्तु ते॥२॥ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे!।सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोऽस्तु ते॥३॥

मंत्र पुष्पांजलि

मंत्र पुष्पांजलि

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।ते ह नाकं महिमान : सचंत यत्र पूर्वे साध्या : संति देवा : ।। ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने ।नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे ।स मस कामान् काम कामाय मह्यं।कामेश्र्वरो वैश्रवणो...

श्री गणेश अष्टकम

श्री गणेश अष्टकम

शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ गणेश गणनाथ नमो नमस्ते |इति निशा गौरी उठी सयन से देखा सभी को घेरे है निद्रा |गाती जगाती गौरी सभी को गणेश गणनाथ नमो नमस्ते |शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ गणेश गणनाथ...

लक्ष्मी-गणेश मंत्र

लक्ष्मी-गणेश मंत्र

1. लक्ष्मी विनायक मन्त्र ॐ श्री गं सौम्याय गणपतये वरवरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।। 2. लक्ष्मी गणेश ध्यान मन्त्र दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥ 3. ऋणहर्ता गणपति मन्त्र ॐ गणेश ऋणं...

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करवा चौथ

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