शनि देव रूठा रे आसमान टुटा
आज मेरे जीवन में हार हो गई
नसीब का फेरा उल्टा रे
शनि देव रूठा रे आसमान टुटा

शनी राजा ने माया दिखाई
हंस ने कैसे माला खाई
अप्धार किस का किस को सजा
कैसा ये नया झूठा रे
शनि देव रूठा रे आसमान टुटा

कल का राजा आज भिखारी कैसे हुआ रे मैं अविचारी
मैं सब का था कोई न मेरा
फूल बना आजा काँटा रे
शनि देव रूठा रे आसमान टुटा

राज महल श्मशान हुआ भाग जला भी वीरान हुआ है,
चारो तरफ से संकट का तूफ़ान ये कैसा उठा रे
शनि देव रूठा रे आसमान टुटा

नरक यातना सह नही सकता जी नही सकता मर नही सकता
इस हालत में जाऊ कहा मैं सब कुछ मेरा लुटा रे
शनि देव रूठा रे आसमान टुटा

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कालभैरव जयंती

शुक्रवार, 22 नवम्बर 2024

कालभैरव जयंती
उत्पन्ना एकादशी

मंगलवार, 26 नवम्बर 2024

उत्पन्ना एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 29 नवम्बर 2024

मासिक शिवरात्रि
गीता जयंती

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

मोक्षदा एकादशी
दत्तात्रेय जयंती

शनिवार, 14 दिसम्बर 2024

दत्तात्रेय जयंती

संग्रह