माँ का साचा है दरबार, सुनती भक्तो की पुकार,
माँ के चरणों में आके, झुकाले अपना सर,
माँ का साचा है दरबार……

टूटती उमीदे मईया आके बँधाएगी,
बिगड़े नसीबो की माँ बगिया खिलाएगी,
बांटे मेहरो के भंडार, जग में गूंजे जय जैकार,
माँ के चरणों में आके, झुकाले अपना सर,
माँ का साचा है दरबार……

ऊँचे पर्वतो में मेरी मईया का द्वार है,
वादियों में गूंजती बड़ी जय जैकार है,
होके शेर पे सवार, करे दुष्टो का संघार,
माँ के चरणों में आके, झुकाले अपना सर,
माँ का साचा है दरबार……

खुशियों के मेले वहां, झूमती बहारे है,
भक्तो की लगी चाहु और कतारे है,
केवल तेरा सेवादार, दर पे झुकता बारम्बार,
माँ के चरणों में आके, झुकाले अपना सर,
माँ का साचा है दरबार……

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

करवा चौथ

रविवार, 20 अक्टूबर 2024

करवा चौथ
संकष्टी चतुर्थी

रविवार, 20 अक्टूबर 2024

संकष्टी चतुर्थी
अहोई अष्टमी

गुरूवार, 24 अक्टूबर 2024

अहोई अष्टमी
बछ बारस

सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

बछ बारस
रमा एकादशी

सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

रमा एकादशी
धनतेरस

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

धनतेरस

संग्रह