नवम सिद्धिदात्री नवदुर्गा अवतार

नवमं सिद्धिदात्री माँ, नवदुर्गा अवतार।
दुर्गा के सब रूप यह ,करें जगत उद्धार।।
शंख चक्र गदा धारिणी ,चार भुजाएं धार।
कमल पर कमलासना ,देवे दिव्य दीदार।।
महादेव पर जब करी ,कृपा दुर्गा मात।
अर्धनारीश्वर बने ,शंकर भोलानाथ।।
जगती जोत अखंड है ,भजन होत दिन रात।
कंजक भवानी रूप में ,पूजी जाती मात।।
लाची लॉन्ग सुपारियां ,ध्वजा नारियल भेंट।
हलवा पूरी भेंट का ,आनंद मैया लेत।।
हर तरफ मेले लगे ,होवे जय जयकार।
आओ भरलो झोलियाँ ,खुला मात दरबार।।
भले ही इस मात की ,पूजा सरल आसान।
फिर भी विधि विधान का ,पूरा रखना ध्यान।।
श्रद्धा और विशवास से ,जो जन माँ को ध्याऐं।
रिद्धि सिद्धि संपदा ,नव निधियां वर पाएं।।
नवरात्र की हाज़िरी ,नित भरते जो लोग।
कट्ट जाते उनके ‘‘मधुप’’ ,दुःख दोष भव रोग।।

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