द्वितीय ब्रह्मचारिणी

द्वितीय ब्रह्मचारिणी ,नवदुर्गा अवतार।
दूजे नवरात्र इसी ,रूप का हो दीदार।।
ब्रह्माणी ब्रह्मवादिनी ,गायत्री जगमात।
शास्त्र वेद पुराण की ,मात यही विख्यात।।
हाथ कमण्डल और माला ,अति सुंदर श्रृंगार।
भक्ति शक्ति ज्ञान बल ,बुद्धि देवनहार।।
देवऋषि श्री नारद ने ,दियो मंत्र उपदेश।
चली तपस्या को उमा ,पाने पति परमेश।।
शाक फूल फल बिलपत्र ,का लीन्हा आहार।
बरस हजारों बीत गये ,निर्जल निराहार।।
अपर्णा ब्रह्मचारिणी ,कीन्हा तप कठोर।
घोर तपस्या से हुआ ,तन शिथिल कमज़ोर।।
ऐसी कठिन तपस्या ,नहीं देखी संसार।
सातद्वीप नौ खण्ड में ,मच गई हाहाकार।।
उमा तपस्या छोड़ दे ,बोली मैनां मात।
मिल जायेंगे नाथ तुम्हें ,शंकर भोला नाथ।।
दुर्गा के इस रूप की ,पूजा करें जो लोग।
मिले “मधुप” यश कीर्ति ,कट जावें भव रोग।।

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

हरतालिका तीज

मंगलवार, 26 अगस्त 2025

हरतालिका तीज
गणेश चतुर्थी

बुधवार, 27 अगस्त 2025

गणेश चतुर्थी
परिवर्तिनी एकादशी

बुधवार, 03 सितम्बर 2025

परिवर्तिनी एकादशी
ओणम / थिरुवोणम

शुक्रवार, 05 सितम्बर 2025

ओणम / थिरुवोणम
अनंत चतुर्दशी

शनिवार, 06 सितम्बर 2025

अनंत चतुर्दशी
भाद्रपद पूर्णिमा

रविवार, 07 सितम्बर 2025

भाद्रपद पूर्णिमा

संग्रह