सजा कर शेर मेरे घर आ,
सजा कर शेर मेरे घर आ,
सजा कर शेर मेरे घर आ,
मै बैठा दिल का आसन सजा,
सजा कर शेर मेरे घर आ,
सजा कर शेर मेरे घर आ……

मन का आसन कबसे है खाली,
आन विरोजो माँ मन्दिरो वाली,
तुम बिन ओर बसे ना कोई,
मेरे मन मंदिर में आ,
सजा कर शेर मेरे घर आ,
सजा कर शेर मेरे घर आ…..

पाप मिटा दो गिन गिन मेरे,
काम क्रोध में लाये डेरे,
अवगुण मेरे चित ना बसाओ,
दो चरणो मे जगह,
सजा कर शेर मेरे घर आ,
सजा कर शेर मेरे घर आ….

लग जाये मेरी ऐसी समाधी,
मन में रहे ना कोई व्याधी,
हर पल तेरा नाम जपु मै,
ऐसी करो कृपा,
सजा कर शेर मेरे घर आ,
सजा कर शेर मेरे घर आ…..

कण कण दर्शन करू तुम्हारा,
रोम रोम बोले जयकारा,
ध्यानु सा विश्वास जगा दो,
हम पे करो कृपा,
सजा कर शेर मेरे घर आ,
सजा कर शेर मेरे घर आ…..

Author: Unknown Claim credit

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