शोभा कही ना जाए

धुन- कवाली

( तेरी, छवि है प्यारी, मेरी मईया शेरोंवाली ।
तेरे दर पे, आए जो सवाली,
मुड़ता नहीं, वो खाली ।
जो रखते तेरे पे, विश्वास हैं माँ,
तूँ पूरी करती, उनकी आस है माँ ।
दुनिया के, भटके लोगों की,
तेरे दर पे बुझती, प्यास है माँ ॥ )

शोभा कही ना जाए, हे मईया शेरोंवाली ॥
तूँ जग से है निराली, हे मईया मेहरोंवाली ॥
शोभा कही ना जाए…

सर पे सजी है चुनरी, भत्तों पे करती छाया ॥
तेरी मांग में है टीका, सारे जग को है लुभाया ॥
तेरे केश काले बादल ॥ दुष्टों पे घटा काली ॥
शोभा कही ना जाए…

माथे की तेरी बिंदीआ, सूरज को है नचाती ॥
तेरे कानों में है बाली, चंदा को है रिझाती ॥
तेरे नाक में है नथनी ॥ वो है भाग्यशाली ॥
शोभा कही ना जाए…

तेरा मुखड़ा है सलोना, जग में उजाला करता ॥
ममता से मुस्कुराना, सब को प्रसन्न करता ॥
दीवाना कर दिया है ॥ सूरत है भोली भाली ॥
शोभा कही ना जाए…

साढ़ी का रंग गूढ़ा, भत्तों पे चढ़ गया है ॥
ये लाल लाल चूड़ा, बाहों में चढ़ गया है ॥
हाथों पे लगी मेहंदी ॥ छाई है लाली लाली ॥
शोभा कही ना जाए…

पांवों की तेरी पायल, सुर मीठे घोल जाती ॥
वो प्यारी छोटी बिछीया, चुपके से बोल जाती ॥
मुझसे से अलग नहीं है ॥ हृदय में रहने वाली ॥
शोभा कही ना जाए…

हे सिंहवाहिनी दुर्गे, सजी अस्त्र शस्त्र धारे ॥
इक हाथ में कमल है, शंख दूजे में विराजे ॥
माँ वरदानी हस्त तेरा ॥ आशीष देने वाली ॥
शोभा कही ना जाए…

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