तर्ज – अपनी प्रेम कहानियाँ

सर को झुकालो,
शेरावाली को मनालो,
चलो दर्शन पालो चल के,
करती मेहरबानीयाँ माँ,
करती मेहरबानीयाँ…..

गुफा के अन्दर,
मन्दिर के अन्दर,
माँ की ज्योतां है नुरानियाँ,
सर को झुक़ालो,
शेरावाली को मनालो,
चलो दर्शन पालो चल के,
करती मेहरबानीयाँ,
करती मेहरबानियां…..

मैया की लीला,
देखो पर्बत है नीला,
गरजे शेर छबीला,
रंग जिसका है पीला रंगीला,
कठिन चढाईयां,
माँ सीढ़िया लाईया,
ये है मैया की निशानियां,
सर को झुक़ालो,
शेरावाली को मनालो,
चलो दर्शन पालो चल के,
करती मेहरबानीयाँ ,
करती मेहरबानियां……

कष्टों को हरती,
मैया मंगल है करती,
मैया शेरोवाली का,
दुनिया पानी है भरती,
दुःख हरती,
अजब नज़ारे,
माता के द्वारे,
और रुत्त मस्तानीया,
सर को झुक़ालो,
शेरावाली को मनालो,
चलो दर्शन पालो चल के,
करती मेहरबानीयाँ ,
करती मेहरबानीयाँ…..

कोढ़ी को काया,
देवे निर्धन को माया,
करती आँचल की छाया,
भिखारी बन के जो आया,
चला चल माँ के द्वारे,
कटे संकट सारे,
मिट जाए परेशानियां,
सर को झुकालो,
शेरावाली को मनालो,
चलो दर्शन पालो चल के,
करती मेहरबानीयाँ ,
करती मेहरबानीयाँ……..

सर को झुकालो,
शेरावाली को मनालो,
चलो दर्शन पालो चल के,
करती मेहरबानीयाँ ,
करती मेहरबानियां…….

Author: Unkonow Claim credit

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