तेरे दर पे माँ आना मेरा काम है,
मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है………
मैंने मन को तो मंदिर बना ही लिया,
उसमे आसन लगाना तेरा काम है,
मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है……
मैंने दीपक में बाती लगा तो दी है,
उसमे ज्योति जलाना तेरा काम है,
मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है……
मैंने चरणों में शीश झुका ही लिया,
इस शीश को उठाया तेरा काम है,
मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है……
मैंने राहों में कांटे बिछा तो दिए,
इन काँटों से बचाना तेरा काम है,
मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है……
मैंने तुझको तो अपना बना ही लिया,
मुझे अपना बनाना तेरा काम है,
मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है……
Author: Unknown Claim credit