गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥
कौन कहते है गणराज आते नही,
भाव भक्ति से उनको बुलाते नही ॥

कौन कहते है गणराज खाते नही,
भोग मोदक का तुम खिलाते नही ॥

कौन कहते है गणराज सोते नही,
माता गौरा के जैसे सुलाते नही ॥

कौन कहते है गणराज नाचते नही,
रिद्धि सिद्धि के जैसे नचाते नही ॥

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥

Author: Guru Ashish

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह